Wednesday, December 6, 2017

अंकीय छायांकन(डिजिटल फोटोग्राफी)

अंकीय छायांकन(डिजिटल फोटोग्राफी) – फोटोग्राफी का वर्तमान स्वरूप डिजिटल फोटोग्राफी है जिसमें किसी वस्तु के क्लिक किए गए फोटोग्राफ के परिणामों को तुरंत कैमरे की एलसीडी स्क्रीन पर देखा जा सकता है । उक्त फोटोग्राफ अगर अच्छी नहीं आयी तो उसे मिटाकर (डिलीट) दूसरी फोटोग्रॉफ निकाल सकते हैं । डिजिटल फोटोग्राफी के लिए डिजिटल कैमरे का उपयोग किया जाता है । डिजिटल कैमरा एक आधुनिक एवं बेहतर उपकरण है जिसने वर्तमान समय में फोटोग्राफी को सरल, आसान एवं रोचक बना दिया है । आधुनिकता के इस दौर में  फोटोग्राफी की विधा को सरल एवं सुविधाजनक बनाने के लिए डिजिटल कैमरों में कुछ सुविधाएं दी गई हैं । जैसे पुराने कैमरों में जहां फिल्म (रील) प्रयोग होता था अब उसके स्थान पर इमेज सेंसर और मेमोरी कार्ड (स्मृति कार्ड) का प्रयोग होता है ।  पहले फोटो की प्रिंटिंग के लिए डार्करूम  का प्रयोग किया जाता था परंतु अब उसके स्थान पर कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता जिसमें एडोब फोटोशॉप जैसे विभिन्न सॉफ्टवेयर के माध्यम से क्लिक की गई फोटो (छवि) को संपादित कर उसमें विभिन्न प्रभाव डालकर आकर्षक बनाते हैं ।
अतः हम इन बिंदुओं के आधार पर डिजिटल फोटोग्राफी को परिभाषित कर सकते हैं । डिजिटल फोटोग्राफी आधुनिक फोटोग्राफी की एक ऐसी विधा है जिसमें डिजिटल कैमरों का प्रयोग किया जाता है तथा फोटोग्राफ के परिणामों को तुरंत कैमरे की स्क्रीन पर देखा जा सकता है। डिजिटल कैमरे से क्लिक की गई  फोटोग्राफ की गुणवत्ता बहुत अच्छी होती है।
डिजिटल कैमरा-फोटोग्राफी का ऐसा आधुनिक उपकरण जिसमें डिजिटल पद्धति से कैमरा इमेज (छवि) का निर्माण किया जाता है । यह कैमरा भिन्न-भिन्न प्रकार का होता है- जैसे-डिजिटल कॉम्पैक्ट कैमरा, एसएलआर (सिंगल लेंस रिफ्लैक्स कैमरा), डीएसएलआर (डिजिटल लेंस रिफ्लैक्स कैमरा) आदि ।
कॉम्पैक्ट कैमरा एक स्वचलित कैमरा है इसमें हमें शटर, एपरचर, आईएसओ अर्थात  एक्सपोचर को  को नियित्रत करने जैसी कोई सुविधा प्राप्त नहीं होती है, हां फोटोग्राफी करने के कुछ मॉड दिए होते हैं जैसे- व्यक्ति चित्र, प्राकृतिक चित्र,खेल चित्र आदि । कुलपिक कैमरा इस कैमरे का उदाहरण है ।
एसएलआर और डीएसएलआर दोनों कैमरे एक जैसे होते हैं इनमें अन्तर बस इतना है कि एसएलआर में लेंस बदलने की सुविधा निहित नहीं होती है जबकि डीएसएलआर में लेंस बदलने की सुविधा होती है । बाकी दोनों ही कैमरे में स्वचलित और हस्तचलित की सुविधा पाई जाती है ।

डिजिटल कैमरों में सेंसर दो प्रकार का होता है किसी कैमरे में सी.सी.डी (चार्ज कपल डिवाइस) सेंसर लगा होता है तो किसी किसी कैमरे में सी.एम.ओ.एस. (कम्पलीमेंट्री मेटल ओक्साइड सेमाकंडक्टर) सेंसर लगा होता है। इन दोनो सेंसरों में बहुत ज्यादा अंतर नहीं होता है।

(नोट-अगली कड़ी में डीएसएलआर में विस्तृत रूप में चर्चा की जाएगी। जिसमें कैमरा संचालन विधि, व उसके संपूर्ण फंक्शन के कार्यविध पर विधिवत चर्चा होगी)

फोटोग्राफी (छायांकन) की अवधारणा

फोटोग्राफी एक कला है जिसमें फोटोग्राफी करने वाले व्यक्ति की व्यक्तिगत दृष्टि, उसका अपना अनुभवसृजन क्षमता, किसी विषय-वस्तु से प्रतिक्रिया व्यक्त करने की दक्षता अर्थात किसी विषय वस्तु को देखन एवं उसके विशिष्ट भाग को महत्व देने का नजरिया सर्वोपरि ( सबसे ज्यादा महात्वपूर्ण) होता है । इसके परिणाम फोटोग्राफर के अपने स्वयं के विवेक के अनुसार ही प्राप्त होता है । यह एक कलात्मक एवं तक्नीकी कार्य है जिसमें फोटोग्राफर की अपनी समझ, दृष्टि और आवश्यक उपकरणों की आवश्यकता है । जैसे एक ही विषय-वस्तु (जिसकी हमें फोटो क्लिक करनी है) की फोटोग्राफ को दस फोटोग्राफर अलग-अलग प्रकार से क्लिक करेंगे और उसके अलग-अलग परिणाम भी प्राप्त होंगे ।
उदाहरण स्वरूप- सुबह के समय उगते सूर्य और नदी का दृश्य जिसमें एक मछुआरा नाव से मछली पकड़ रहा है, की फोटोग्राफी करते समय फोटोग्राफर अपने विवेक और तकनीकी ज्ञान के आधार पर अलग अलग तरीके से फोटो क्लिक करेंगे । जैसे कोई सूर्य नदी और मछुआरे तीनों को अपने फ्रेम में लेगा तो कोई सिर्फ मछली पकड़ते मछुआरे को फ्रेम में लेकर फोटो क्लिक करेगा।
·       फोटोग्राफी का अर्थ एवं परिभाषा
फोटोग्राफी जिसे हिंदी में छायांकन कहते हैं यह ग्रीक भाषा के दो शब्दों Photo और  Graphos से मिलकर बना है जिसमें Photo का अर्थ है  प्रकाश (रोशनी) और Graphos का अर्थ है चित्र या बिंदु रेखा । अर्थात प्रकाश द्वारा चित्रण करना ही फोटोग्राफी (छायांकन) कहलाता है ।
फोटोग्राफी एक कलात्मक विधा है जिसमें किसी वस्तु की बेहतर छवि एक उपकरण (कैमरा) के माध्यम से क्लिक करके किसी स्मृति कार्ड (मेमोरी) में सेव करके सुरक्षित रखी जाती है । पुराने समय में कैमरे में मेमोरी कार्ड के स्थान पर रील का प्रयोग किया जाता था ।
किसी भौतिक वस्तु से निकलने वाले विकिरण  को किसी संवेदनशील माध्यम (जैसे फोटोग्राफी की फिल्म, इलेक्ट्रानिक सेंसर आदि) के ऊपर रिकॉर्ड करके जब कोई स्थिर या चलती हुई छवि (तस्वीर) बनायी जाती है तो उसे छायाचित्र (फोटोग्राफ) कहते हैं । छायाचित्रण (फोटोग्राफी) की प्रकिया  कला  एवं तकनीकी कार्य है  इस कार्य के लिये कैमरे नामक उपकरण का प्रयोग किया जाता है । वर्तमान में इसका महत्व व्यापारविज्ञानकला एवं मनोरंजन आदि में बहुत ज्यादा है जिससे इसका महत्व बहुत बढ़ गया है । इसका उपयोग फैशन एवं प्रोफेशन दोनों ही रूपों किया जा रहा है ।
फोटोग्राफी में   किसी भी विषय-वस्तु को सबसे हटकर देखने का एक हुनर होता है जिसका नाम है थर्ड आई (तीसरी आंख)- यही वह आधार है जिससे एक फोटोग्राफर किसी विषयवस्तु को आम लोगों से हटकर देखता है और उसकी खूबसूरत छवि निकालकर लोगों के समक्ष प्रस्तुत करता है। आम लोगों से हटकर किसी विषयवस्तु को देखने की प्रक्रिया फोटोग्राफरों में फोटोग्राफी का नजरिया कहलाता है। 
संदर्भ-
फोटोग्राफी तकनीक एवं प्रयोग, नरेंद्र सिंह यादव
फोटोग्राफी संपूर्ण जानकारी,अशोक दिलवाली,